55 शब्दों को बदलने की बात से फिल्ममेकर परेशान
“साले” शब्द को हटा कर “अबे” करने के लिए कहा जाता है
ऐसा लगता है कि फिल्मो को यूए सर्टिफिकेट देने के मामले में सेंसर बोर्ड की ओर से भी कुछ भेदभाव होता है। कई लोगों के लिए सेंसर फेवर में फैसला सुनाता है तो कई लोगों को बोर्ड के सदस्यों की ओर से दुनिया भर की कांट छांट करने को कह दिया जाता है। इसलिए जब आप “साला खडूस”जैसी फिल्मे देखते हैं जिन्हे बिना किसी इश्यू के पास कर दिया जाता है वहीँ फिल्म “डायरेक्ट इश्क”के निर्माताओं को “साले”शब्द को हटा कर “अबे”करने के लिए कहा जाता है।
फिल्म के निर्देशक राजीव एस रुइया को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। सेंसर बोर्ड ने फिल्म के मेकर को 55 शब्दों की एक लिस्ट थमा दी जिन्हे क्लिअर करने के लिए अनफिट करार दिया और इस तरह कई शब्दों को दूसरे शब्दों से बदलना पड़ा जैसे साली को हटेली,कमीना को नमूना,पिछवाड़ा को बोनेटवा,नीचे से को यहाँ से,माल को हाल से चेंज करना पड़ा। इस मामले में फिल्म के निर्माता बाबा मोशन पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रदीप के शर्मा ने कहा कि यह बड़ी अजीब बात है कि बहुत सारी फिल्मो के टाईटल में ही कुछ भड़कीले ,चटकीले शब्द होते हैं जिन्हे पास कर दिया जाता है जबकि हम जैसे नए निर्माताओं को क्लियरेंस कराने के लिए इतने सारे बदलाव दे दिए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि पहले भी सेंसर की तरफ से इस प्रकार के भेदभाव हुए हैं। हाल ही में “तमाशा”में दीपिका पादुकोण खुले आम अपशब्द का इस्तेमाल करती नज़र आई थीं उससे पहले हिंसा के दृश्यों से भरी “गजनी”जैसी फिल्मो को यूए सर्टिफिकेट दिया गया था। अब यह देखने के लिए इंतज़ार करना पड़ेगा कि सेंसर की तरफ से “डायरेक्ट इश्क”पर कोई दया होती है या कुछ रिवीज़न होता है ?रजनीश दुग्गल,निधि सुबईया और अर्जुन बिजलानी के अभिनय से सजी “डायरेक्ट इश्क़”एक ऐक्शन से भरी रोमांटिक कॉमेडी है जो बनारस की पृष्भूमि पर आधारित है और 19 फ़रवरी को रिलीज़ होगी।